लक्ष्मी पूजा का चौघड़िया मुहूर्त
प्रदोष काल – शाम 5:26 से रात 20:08 तक रहेगा।
लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5:49 से 6:02 बजे तक रहेगा।
लाभ चौघड़िया – 05:28 से शाम 07:07 तक। अतः सर्वश्रेष्ठ यही रहेगा कि इस समय तक श्री लक्ष्मी और श्री गणेश का पूजन आरंभ करने ले .
निशीथ काल 14 नवंबर 2020 को सायं 8:08 से 10:51 तक रहेगा।
इसमें शुभ की चौघड़िया 20:48 से 22:30 तक तथा अमृत की चौघड़िया 22:30 से रात्रि 24:12 तक रहेंगी ।
इस अवधि में महालक्ष्मी पूजन समाप्त कर श्री सूक्त कनकधारा स्रोत लक्ष्मी स्त्रोत आदि मंत्रों का पाठ करना चाहिए।
महानिशीथ काल : रात्रि 22:51से 25:33 तक – हवन , मंत्र सिद्धि , तंत्र सिद्धि
22:30 से 24:12 तक अमृत की चौघड़िया है
सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 00:01 से 02:19 तक।
पूजन के अन्य मुहूर्त
दोपहर: (लाभ, अमृत) 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक।
रात्रि: (शुभ, अमृत, चल) 14 नवंबर की रात्रि 08:47 से देर रात्रि 01:45 तक।
व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजा मुहूर्त
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक।
दीपावली पर पूजन करने की विधि –
महत्वपूर्ण बात – यदि आप किसी भी कारण वश दीपोत्सव पूजन पूर्ण विधि के साथ करने में समर्थ नहीं है तो श्री गणेश और माँ लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जाप अवश्य करे ।
गणेश लक्ष्मी पूजन हेतु आवश्यक सामग्री
पूजन हेतु श्री लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति, शिवलिंग , श्री यन्त्र
एक कलावा , एक जनेऊ , १ पानी वाला नारियल , १ नारियल गरी, कच्चे चावल , लाल कपडा , १५ सुपारी , लौंग , १३ पान के पत्ते , दूर्वा, चंदन, घी , ५- ७ आम के पत्ते , कलश (ताम्बे अथवा मिटटी का लोटा ) , चौकी , समिधा 1 kg , हवन कुण्ड, हवन सामग्री 1 kg, कमल गट्टे 108, फूल , विल्बपत्र , पंचामृत ( दूध, दही , घी , शहद , गंगाजल ), फल ( सेब , अनार, केले इत्यादि ), ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि) , मेवे , मिठाई ,पूजा में बैठने हेतु आसन, आटा, हल्दी , अगरबत्ती /धूपबत्ती , कुमकुम , इत्र, १ बड़ा दीपक , रूई, दक्षिणा इच्छानुसार , खील, बताशे, कपूर, आरती की थाली, 11 /21 छोटे दिए , एक बड़ा दीप जिसमे आप चौमुखी दीपक जला सके , रुई, दोने या कटोरियाँ
१. पूजा करने के लिए उत्तर अथवा पूर्व दिशा में मुख होना चाहिए. पूजा की जगह को अच्छे से साफ़ करे . द्वार प़र रंगोली बनाये . पूजन करने की जगह प़र आटे और रोली से अष्टदल कमल और स्वस्तिक बनाये. उसके ऊपर चौकी रखकर लाल कपडा बिछाएं. हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों , सामग्री पर और घर में छिड़कना चाहिए। शुद्धि मंत्र – ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो5पि वा । यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।
कलश पर रोली हल्दी के संगम से स्वस्तिक बनाकर तीन चक्र मौली बांधकर अंत में तीन गांठे लगाए । जल भर कर उसमे गंगाजल, थोड़े से चावल और सिक्का डाले . चौकी के दायीं तरफ चावल की छोटी से ढेरी के ऊपर इस कलश की स्थापना करें. आम के ५ अथवा ७ पत्ते रखें . नारियल प़र तीन चक्र कलावा बांधकर अंत में तीन गांठे लगा, कलश के ऊपर स्थापित करें.
२. चतुर्मुखी दीपक जलाएं . यह दीपक सम्पूर्ण दीवाली की रात्रि जलना चाहिए . धूपबत्ती जलाये . कलश और दीपक के पास अक्षत , हल्दी , कुमकुम और फूल चढ़ाएं .
३- श्री गणेश , देवी लक्ष्मी, शिवलिंग और श्री यन्त्र की चौकी प़र पूरे मनोयोग से स्थापना करे.
४ – सर्वप्रथम अपने गुरु का ध्यान करे. तत्पश्चात पूजन आरम्भ करें . एक दूसरे को तिलक लगा कर कलावा बांधे. स्त्रियाँ अपने बाये हाथ एवं पुरुष अपने दायें हाथ प़र बांधें . कलावा बंधन के पश्चात मन में ईश्वर की कृपा प्राप्ति का संकल्प लें ।
५ – सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का का ध्यान करें। मंत्र – गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्। इसके उपरांत जनेऊ , चावल ,पान , सुपारी , लौंग , फूल, दूर्वा और विल्बपत्र ,कलावा रुपी वस्त्र गणेश जी को चढ़ाएं। फल और भोग समर्पित करे .
६ – नवग्रह ( सूर्य , चन्द्र , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि , राहू, केतु ) आह्वाहन कर सभी का पूजन करें – मंत्र – ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु पान, चावल, सुपारी, लौंग, कलावा, फूल , फल, धूप और भोग समर्पित करे
कुबेर देवता , स्थान देवता और वास्तु देवता का क्रम से आह्वाहन कर सभी का पूजन व सम्मान – पान, चावल, सुपारी, लौंग, कलावा, फूल , फल धूप और भोग समर्पित कर करे .
७ – माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः पान, चावल, सुपारी, लौंग, कलावा, फूल , फल धूप और भोग समर्पित करे
उनकी प्रतिमा के आगे अर्थात पूजन स्थान की आस पास 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं तत्पश्चात पूरे घर में दीप प्रज्वलित करें।
लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है।मंदिर में स्थापित देवी देवताओं को अक्षत तिलक पुष्प और प्रसाद समर्पित करे ।
कुछ समय बैठकर पूर्ण मनोयोग से “ ॐ महा लक्ष्मये नमः ” मंत्र का जाप अथवा श्री सूक्त का जाप करे.
८ – अंत में ऊपर लिखे हुए समय पर यदि संभव हो तो हवन करे . हवन सामग्री में घी मिला ले . हवन कुण्ड की पूजा करे . पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से हवन करें। क्रमवार सभी देवताओ के नाम का हवन करे जिन्हें अपने आमंत्रित किया है उनके नाम की आहुति दे .
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा ,
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा ( तीन बार )
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा, ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा, ॐ वास्तु देवताय नमः स्वाहा , ॐ कुबेर देवताय नमः स्वाहा
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा (27 बार)
लक्ष्मी जी के मंत्र से हवन करते समय कमलगट्टे के बीज हवन सामग्री में मिला ले और १०८ बार मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन करे .
९ – पूर्णाहुति के लिए नारियल गरी को काट कर उसमे बची हुई हवन सामग्री , थोड़ा घी , और थोड़ा मेवा के साथ पूरा भर ले और परिवार के सभी सदस्य अपना हाथ लगाकर अंतिम आहुति दे .
मंत्र – पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
१०- पूजन के बाद लक्ष्मी और गणेश जी की आरती कर क्षमा प्रार्थना करे .
श्री गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश , जय गणेश देवा
माता जाकी पारवती , पिता महादेवा .
एक दन्त दयावंत , चार भुजा धारी
माथे सिंदूर सोहे , मुसे की सवारी , जय गणेश …
अंधन को आंख देत , कोढ़िन को काया
बंझंन को पुत्र देत , निर्धन को माया , जय गणेश …
पान चढ़े , फूल चढ़े , और चढ़े मेवा
लड्डू का भोग लगे , संत करे सेवा , जय गणेश ….
जय गणेश , जय गणेश , जय गणेश देवा ,
माता जाकी पारवती , पिता महादेवा
महालक्ष्मी आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता , मैया जय लक्ष्मी माता ,
तुमको निस दिन सेवत , हरी , विष्णु धाता . ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा रमा ब्रह्मानी , तुम हो जग माता ,
मैया , तुम हो जग माता ,
सूर्य चंद्रमा ध्यावत , नारद ऋषि गाता . ॐ जय लक्ष्मी माता .
दुर्गा रूप निरंजनी , सुख सम्पति दाता,
मैया सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता , रिद्धी सिद्धी धन पाता. ॐ जय लक्ष्मी माता .
जिस घर में तुम रहती , सब सदगुण आता ,
मैया सब सुख है आता ,
ताप पाप मिट जाता , मन नहीं घबराता . ॐ जय लक्ष्मी माता
धुप दीप फल मेवा , माँ स्वीकार करो ,
ज्ञान प्रकाश करो माँ , मोह अज्ञान हरो . ॐ जय लक्ष्मी माता .
महा लक्ष्मी जी की आरती , निस दिन जो गावे
मैया निस दिन जो गावे ,
दुःख जावे , सुख आवे , अति आनंद पावे . ॐ जय लक्ष्मी माता .
क्षमा प्रार्थना :
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम् मम देवदेव ।
पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः ।
त्राहि माम् परमेशानि सर्वपापहरा भव ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥
११ – श्रद्धा और भक्ति के साथ नमन करते हुए प्रार्थना करे के माता रानी आपके घर में प्रसन्नता के साथ सदा निवास करे .
१२ – दीपावली के अगले दिन ही नारियल को छोड़कर अन्य पूजा का सामान हटाये और बहते पानी में विसर्जित करें.